दशपुर नगरी है आज की मन्दसौर, बैठे अष्टमुखी पशुपति बुलाए रे। गीत गाती कोयल सन्न-सन्न हवा, मानस को मेरे शिव-शिव सुनाए रे। दिन कटे, रात बिते,चैन न मन के चित्त, चित्त धरे ध्यान कुछ मन न लुभाये रे। कबहुँ दरस देंगे गंगधारी शिव मुझे, नित्य कर्म कर मन शिव बुलाए रे। शिवालय खुले पठ धैर्य न धरे मन, शिव दरस को मन ललचाये रे। गोरापति शिव बैठे मन के मीत, गौरव के गोरवेश्वर मन भाए रे। #Shiva #पशुपतिनाथ #मन्दसौर