बड़ा लम्बा लगा सफर , जब तलक तू ना मिला , हम थक कर बैठे कितनी दफा की जब तलक तू ना मिला , अब लगता है खुदा की कोई शरारत हो रही है , यू जो तुम मिलने लगी हो रातो को , दिन ये लम्बे हमारे , छोटी ये बड़ी राते हो रही है . दिन ये लम्बे हमारे , छोटी ये बड़ी राते हो रही है . साया मेरा मुझे यू डराता रहा तुझसे पहले हम पूर्णिमा को भी सहमे कितनी दफा तुझसे पहले , अब जो कहने लगी हो मै हूँ , मेरी अमाबस भी रात ,एक चांदनी हो रही है , बो जो मिलने लगी हो रातो को दिन ये लम्बे हमारे , छोटी ये बड़ी राते हो रही है . छोटी ये बड़ी राते हो रही है . छोटी ये बड़ी राते हो रही है . written by ©Gaurav Rajput #raate