हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए... बेराग हो तुम तो क्या राग निखरनी चाहिए गूंगे बैठे हो क्यूँ अब तो दहाड़ निकलनी चाहिए सिर्फ भीड़ जमा करना मेरा इरादा नहीं मेरी कोशिश है कि ये बयार बदलनी चाहिए... सिमटी है जो आग वो अब दहकनी चाहिए ज्वाला बनके हर घर से जवानी निकलनी चाहिए सिर्फ उन्माद खड़ा करना मेरा उद्देश्य नहीं मेरी कोशिश है कि ये वेदना जगनी चाहिए... खो गयी है जो आस वो फिर से बँधनी चाहिए इस बार नहीं जाति के नाम पर सोच बंटनी चाहिए तेरा मुकाम है जो मेरा मुकाम भी है वही देश की तरक्की पर अब कोई बाधा नहीं पड़नी चाहिए... #yqdidi #yqbaba #गजल_अभ्यास #society #divideandrule #india #development #तरक्की