अब मन्दिरों में मैनें दुआ और प्रार्थना करना छोड़ दिया है पर आज एक दुआ माँगी है के मेरे लिये तुम्हारी दुआ कभी क़ुबूल ना हो दर्द देकर मुझे तुम मेरे लिये दुआ माँगते हो मालूम है तुम्हें ऐसी दुआएं बेअसर हो जाती है बिना क़सूर के सज़ा देकर फ़िर से वही बेरुखी कर जाते हो खामोशी से मैं सहे जाती हूँ जिस मोड़ पे थी पहले आज फिर से वहीं खुद को खड़ी पाती हूँ क़सूर क्या है मेरा ये पूछना भी नहीं आता बिन जाने ही सबकुछ चुपचाप सहे जाती हूँ। -Bharti kashyap भारती कश्यप ©Bharti kashyap #Duaayen