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अंग-अंग तड़प रहा है,मन मेरा मचल रहा है, तुमसे मिलन

अंग-अंग तड़प रहा है,मन मेरा मचल रहा है,
तुमसे मिलने को अब,बदन मेरा जल रहा है ।
भींच लो मुझको अपनी तुम फौलादी बांहों में,
समा जाओ अंग-अंग में और मेरी निगाहों में ।
एक पल तेरे बग़ैर ये रात सूनी-सी लगती है ।
तुमसे लिपटने को ये आत्मा मेरी तड़पती है ।
उठा लो गोद में मुझे,बुझा दो अब अगन मेरा 
प्यासे हैं अधर मेरे और प्यासा है तन-मन मेरा ।

©ANIL KUMAR,)
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