एक-एक आस का जब तलक क़तल न हो... मिसरे तो लड़ेंगे जब तक ग़ज़ल न हो..। तल्ख़ी-ए-हालात ने सब रौंद दिया है... हम चाहते थे कि, हम में ज़रा बदल न हो..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 तल्ख़ी-ए-हालात