छल नयन अश्रु से सजे , बुझ चुकी हैं हर प्रभा, किस तरह मैं ढूंढ लू बेहकी राहों में आसरा? नयन अश्रु से सजे , बुझ चुकी हैं हर प्रभा, किस तरह मैं ढूंढ लू बेहकी राहों में आसरा? दो पहर का प्यार बनके, हां छला था यार बनके।