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छल नयन अश्रु से सजे , बुझ चुकी हैं हर प्रभा, किस

छल

नयन अश्रु से सजे ,
बुझ चुकी हैं हर प्रभा,
किस तरह मैं ढूंढ लू
बेहकी राहों में आसरा? 
नयन अश्रु से सजे ,
बुझ चुकी हैं हर प्रभा,
किस तरह मैं ढूंढ लू
बेहकी राहों में आसरा?

दो पहर का प्यार बनके,
हां छला था यार बनके।
छल

नयन अश्रु से सजे ,
बुझ चुकी हैं हर प्रभा,
किस तरह मैं ढूंढ लू
बेहकी राहों में आसरा? 
नयन अश्रु से सजे ,
बुझ चुकी हैं हर प्रभा,
किस तरह मैं ढूंढ लू
बेहकी राहों में आसरा?

दो पहर का प्यार बनके,
हां छला था यार बनके।
amargupta4255

amar gupta

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