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तो वो ऐसा हो, ठंड़ी भीनी सी बारिश की बूंदों जैसा हो

तो वो ऐसा हो,
ठंड़ी भीनी सी
बारिश की बूंदों जैसा हो...
शांत कर दे
तृप्त कर दे
आत्मसन्तुष्ट आत्मा जैसा हो...
मन की बंजर जमीं पर बरसे
हरे सावन जैसा हो...
शून्य से वो
दुनिया बनायें
हर एक रिश्ते जैसा हो...
शब्दोंसे अमृत छलकायें
और नैनों से ज्योति
हृदय को भर दे प्रेम से वो
सुनहरे उजालों जैसा हो... शुभरात्रि लेखकों।😊

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तो वो ऐसा हो,
ठंड़ी भीनी सी
बारिश की बूंदों जैसा हो...
शांत कर दे
तृप्त कर दे
आत्मसन्तुष्ट आत्मा जैसा हो...
मन की बंजर जमीं पर बरसे
हरे सावन जैसा हो...
शून्य से वो
दुनिया बनायें
हर एक रिश्ते जैसा हो...
शब्दोंसे अमृत छलकायें
और नैनों से ज्योति
हृदय को भर दे प्रेम से वो
सुनहरे उजालों जैसा हो... शुभरात्रि लेखकों।😊

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