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कुछ ज्यादा बड़ी चाहत नहीं मेरी बस एक शायर की मोहब्

कुछ ज्यादा बड़ी चाहत नहीं मेरी
बस एक शायर की मोहब्बत हो जाऊं

 मै दिल से सीधा पन्नों पर उतरू
लफ़्ज़ों से तराशा जाऊं

सांझ ढले वो लिखने बैठे
मै ख्यालों में चला आऊं

हर महफ़िल में वो पढ़े मुझे
वो ग़ज़ल मुकम्मल बन जाऊं #BecauseWritersAreImmortal
कुछ ज्यादा बड़ी चाहत नहीं मेरी
बस एक शायर की मोहब्बत हो जाऊं

 मै दिल से सीधा पन्नों पर उतरू
लफ़्ज़ों से तराशा जाऊं

सांझ ढले वो लिखने बैठे
मै ख्यालों में चला आऊं

हर महफ़िल में वो पढ़े मुझे
वो ग़ज़ल मुकम्मल बन जाऊं #BecauseWritersAreImmortal