कुछ ज्यादा बड़ी चाहत नहीं मेरी बस एक शायर की मोहब्बत हो जाऊं मै दिल से सीधा पन्नों पर उतरू लफ़्ज़ों से तराशा जाऊं सांझ ढले वो लिखने बैठे मै ख्यालों में चला आऊं हर महफ़िल में वो पढ़े मुझे वो ग़ज़ल मुकम्मल बन जाऊं #BecauseWritersAreImmortal