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पथिक।।। चलो अब घर को जाएं।। रात काली हो चुकी है,

पथिक।।।
चलो अब घर को जाएं।।

रात काली हो चुकी है, रवि भी पड़ा है स्याह,
झींगुरों के स्वर अनवरत, चलो अब घर को जाएं।।
गांव की टूटी पगडंडिया,
करते पांव टिकाने का प्रयास,
रौंदता हरियाली को,

पथिक।।। चलो अब घर को जाएं।। रात काली हो चुकी है, रवि भी पड़ा है स्याह, झींगुरों के स्वर अनवरत, चलो अब घर को जाएं।। गांव की टूटी पगडंडिया, करते पांव टिकाने का प्रयास, रौंदता हरियाली को,

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