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कल कली दिखी एक मेफ़िल-ए-बग़ीचे में, उसे कमल बनाने को

कल कली दिखी एक मेफ़िल-ए-बग़ीचे में,
उसे कमल बनाने को जी चाहता है,
वो एक अधूरी शायरी है अबतक,
उसे ग़ज़ल बनाने को जी चाहता है,
उसके मिलने से पहले न था,
मैं रुबरू मोहब्बत से,
मग़र अब ताज महल बनाने जी चाहता है

✍️Narya #जी_चाहता_है..! Dear Diary✍🏻 Aaradhana Anand NURI 😜.....(SARAVJEET KAUR) deepshi bhadauria  Zarna dayma
कल कली दिखी एक मेफ़िल-ए-बग़ीचे में,
उसे कमल बनाने को जी चाहता है,
वो एक अधूरी शायरी है अबतक,
उसे ग़ज़ल बनाने को जी चाहता है,
उसके मिलने से पहले न था,
मैं रुबरू मोहब्बत से,
मग़र अब ताज महल बनाने जी चाहता है

✍️Narya #जी_चाहता_है..! Dear Diary✍🏻 Aaradhana Anand NURI 😜.....(SARAVJEET KAUR) deepshi bhadauria  Zarna dayma
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