जीवन अकेला मरण अकेला अकेला ये संसार है तेरा मोह भी मिथ्या माया मिथ्या मिथ्या जग परिवार है तेरा अब छोड़ के सारे बंधन को और त्याग के सारी ममता को एकांकी को ग्रहण करो और खुद में ही विचरण करो बैठो सोचो और ज़रा फिर खुद में ही तो मनन करो कर के चिंतन खुद में ही अहंकार का नाश करो और करो उजाला उस लौ को विश्वास का जिसमे वास भी हो फिर जग ही क्यों ना वैरी हो पर खुद में ये विश्वास रखो सत्य वही है एक अकेला बाकी सब मिथ्यों का रैला एकांकी में वास करो और जीवन का आभास करो ।। 👆 मेरी कलम कुछ कहती है👆 😊 रतनेश पाठक 😊 #Nojoto #nojotohindi #poem #एकांकी