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पसीने की बूंदों का माथे पर आ जाना वो बार-बार उनको

पसीने की बूंदों का माथे पर आ जाना
वो बार-बार उनको फटे-गीले पल्लू से हटाना,
थककर हाथ से हथौड़े का छूट जाना,
वो भूख से बिलखते चेहरे को देखकर भी, 
बार-बार काम में जुट जाना,
मजदूर माँ की ये बेबसी देखकर भी,
राह से लोगों का यूँही गुज़र जाना।
बार-बार कुछ कहता है,
क्या पत्थर तोड़ने वाला,
पत्थर ही होता है,
या देखकर निकलने वाला पत्थर होता है।


 कहने को ये दो शब्द हैं मगर किसी भी बात से जुड़ जाते हैं और कविता बना देते हैं।
#बारबार #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
पसीने की बूंदों का माथे पर आ जाना
वो बार-बार उनको फटे-गीले पल्लू से हटाना,
थककर हाथ से हथौड़े का छूट जाना,
वो भूख से बिलखते चेहरे को देखकर भी, 
बार-बार काम में जुट जाना,
मजदूर माँ की ये बेबसी देखकर भी,
राह से लोगों का यूँही गुज़र जाना।
बार-बार कुछ कहता है,
क्या पत्थर तोड़ने वाला,
पत्थर ही होता है,
या देखकर निकलने वाला पत्थर होता है।


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drnehagoswamisha4463

नेहा

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