Nojoto: Largest Storytelling Platform

रंगमंच सच्चे दिल से निकली बातें अक्सर अनगिनत दि

रंगमंच 

सच्चे दिल से निकली बातें 
अक्सर अनगिनत दिलों तक जाती हैँ 

नदियों निकले चाहे कितने ऊँचे पर्वत से 
आखिर मे जाकर सागर से मिल जाती हैँ 

सच्चे दिल से निकली बातें 
अक्सर अनगिनत दिलों तक जाती हैँ 

अक्सर मिलते हैँ लोग हमे पहले चुप चुप रहते थे 
अब कहते हैँ बोलो बोलो याद तुम्हारी आती है 

आखिर मे जाकर सागर से मिल जाती हैँ 

जब जब उगता है सूर्य नमन होता है चहुँओर 
जब होती है तपती दोपहर तब याद शाम की आती है 

आखिर मे जाकर सागर से मिल जाती हैँ 

जब तक उछाल है सागर मे लहरें करती है उलट फेर 
जब होती है उछाल खत्म तो खुद शांत किनारों से मिलने आती हैँ 

आखिर मे जाकर सागर से मिल जाती हैँ 

ये वेग ये उद्वेग ये आवेश जीवन क्षण भर का है रंगमंच 
होता है अनंत मौन जब मृत्यु जीवन को विराम लगाती है 

आखिर मे जाकर सागर से मिल जाती हैँ 

हो ज़ाते सब अभाव और प्रभाव खत्म 
बस विचार की पूँजी ज़िन्दा रह जाती है 

आखिर मे जाकर सागर से मिल जाती हैँ 

©शिवम मिश्र
रंगमंच 

सच्चे दिल से निकली बातें 
अक्सर अनगिनत दिलों तक जाती हैँ 

नदियों निकले चाहे कितने ऊँचे पर्वत से 
आखिर मे जाकर सागर से मिल जाती हैँ 

सच्चे दिल से निकली बातें 
अक्सर अनगिनत दिलों तक जाती हैँ 

अक्सर मिलते हैँ लोग हमे पहले चुप चुप रहते थे 
अब कहते हैँ बोलो बोलो याद तुम्हारी आती है 

आखिर मे जाकर सागर से मिल जाती हैँ 

जब जब उगता है सूर्य नमन होता है चहुँओर 
जब होती है तपती दोपहर तब याद शाम की आती है 

आखिर मे जाकर सागर से मिल जाती हैँ 

जब तक उछाल है सागर मे लहरें करती है उलट फेर 
जब होती है उछाल खत्म तो खुद शांत किनारों से मिलने आती हैँ 

आखिर मे जाकर सागर से मिल जाती हैँ 

ये वेग ये उद्वेग ये आवेश जीवन क्षण भर का है रंगमंच 
होता है अनंत मौन जब मृत्यु जीवन को विराम लगाती है 

आखिर मे जाकर सागर से मिल जाती हैँ 

हो ज़ाते सब अभाव और प्रभाव खत्म 
बस विचार की पूँजी ज़िन्दा रह जाती है 

आखिर मे जाकर सागर से मिल जाती हैँ 

©शिवम मिश्र