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बेचारा ना जाने खुद ही बहक कर कब किधर जायेगा, दिल

बेचारा ना जाने खुद ही बहक कर कब किधर जायेगा,
दिल  हैं  हौंले  से  ना जाने कब इधर से उधर  जायेगा।
देखकर महकती कलियां मचल उठता है ये दिल बाबरा,
फितरत आबारगी  इसकी  कैसे कहूं कि सुधर जायेगा।

राजेश गुप्ता'बादल'
मुरैना मध्यप्रदेश (28/12/2018) #writers #writerskiduniyan #nojoto #dilkibat #dil_e_babra
बेचारा ना जाने खुद ही बहक कर कब किधर जायेगा,
दिल  हैं  हौंले  से  ना जाने कब इधर से उधर  जायेगा।
देखकर महकती कलियां मचल उठता है ये दिल बाबरा,
फितरत आबारगी  इसकी  कैसे कहूं कि सुधर जायेगा।

राजेश गुप्ता'बादल'
मुरैना मध्यप्रदेश (28/12/2018) #writers #writerskiduniyan #nojoto #dilkibat #dil_e_babra