स्नेह और प्रेम दोनों की पवित्रता मधुर है। बराबरी के लोग इसे अपनों में पारदर्शी रखते हैं , और यह भरोसा कहलाता है। जब उच्च कोटि के स्नेह हो , प्रेम की परगाड़ता अति हो जाती है , और बात पारदर्शी करने में सक्षम ना हो सके। यह आदरणीय कहलाता है। दूसरे शब्दों में पुत्र अपने पिता के लिए डर कहते हैं । छात्र अपने शिक्षक के लिए सम्मान कहते है। एक कर्मी अपने मालिक के लिए हिचक कहते हैं। एक सामान्य व्यक्ति परम आदरणीय के लिए समर्पित भाव समर्पित भाव को दर्शाते हैं । । ©Rahul Raj Renu #rahulrajrenu #समाज_और_संस्कृति #समाज_की_हकीकत