चाँद-तारों से भी पुराना,इश्क है अपना लगता है हमें डर ,कहीं ऐसी-वैसी बात ना कह दें बातों में तेरी किसी की साँसें अटकी हैं तेरी जुल्फों के साये में,कहीं दिन को रात ना कह दें... ©abhishek trehan 🎀 तेरी ज़ुल्फ़ें 🎀 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 आज की प्रतियोगिता (Challenge-408) "सब्र का बाँध" को जीतने के लिए "तेरी ज़ुल्फ़ें" पर कोलाब करना अनिवार्य है। 🎀 3 लेखकों को मिलकर कोलाब करना है और कुछ अनोखा लिखने की कोशिश करनी है। 🎀 Font छोटा रखिएगा जिससे वालपेपर खराब न हो। कम लिखिए या ज़्यादा लिखिए परन्तु अपना लिखिए।