तुझको ईश्क है, फिर भी जता नहीं पाती, दिल में खुमार है, फिर भी शांत रह जाती, चेहरे पर मुस्कान नशीली, फिर भी हल्के से मुस्कराती, तुम हो ईश्क-ए-जहान, अब तुमसे ही सुबह-शाम होती. ©Ankit verma 'utkarsh' ❤❤ Jyoti Duklan "अब्र" 2.0