ख़ुदा का घर (माँ-पापा) **************** जिस घर होती माँ पापा की इज्ज़त वो घर घर नहीं रहता ख़ुदा का जन्नत सा घर बन जाता है,जिस घर न होती माँ पापा की इज्ज़त दिल दुखाते बेतहाशा अपने ही,उस घर न रहमत रहती न बरकत बरकरार है रहती, बड़े ही कोमल और सच्चे भाव के होते है माँ पापा हमारे तभी बसता है नूर इनमें ख़ुदा का,जो कोई न कर पाता ये वो कर देते हैं मुश्किल वक्त को भी ये हमारा आसां हैं कर देते,बच्चे कितने भी जख़्म दे मरहम तो माँ पापा ही बनते हैं ख़ुदा सी ख़ुदाई ये दिखलाकर तक़दीर हम बच्चों की बना देते हैं,माँ पापा के आगे तो ख़ुद ख़ुदा भी सिर झुकाते हैं,हो जाती है उस घर की चौखट पाक साफ़ जिस घर माँ पापा की ख़िदमत होती है,जो जानते हैं तूफां का रूख़ मोड़ना वो माँ पापा ही अपने बच्चों के ख़ुदा का साथ होने का एहसास कराते हैं, विशेष प्रतियोगिता कोरा काग़ज़ शीर्षक-ख़ुदा का घर (माँ-पापा) #collabwithकोराकाग़ज़ #KKSC39 #ख़ुदाकाघर #विशेषप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़