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बोल रहा हूं,लिख रहा हूं चल रहा हूं,पर अंदर ही अंदर

बोल रहा हूं,लिख रहा हूं
चल रहा हूं,पर अंदर ही अंदर
कहीं ढ़ल रहा हूं,उम्मीद तो है
पर किससे करें,हर आंख गीली है
हाथ आंसू मल रहा है,उधर रैलियों का दौर
ख़ूब चल रहा है ।।
कई सांसें टूट जाती हैं,आक्सीजन के इंतज़ार में
पर निष्ठुरों का मन,कहां पिघल रहा है
अरे...आत्ममुग्धों देखो,देश जल रहा है ।

✍🏻@Agroent🐞

©YUVRAJ SINGH NAGESH #कोरोना_का_कहर #YUVRAJ_SINGH_NAGESH 

#COVIDVaccine
बोल रहा हूं,लिख रहा हूं
चल रहा हूं,पर अंदर ही अंदर
कहीं ढ़ल रहा हूं,उम्मीद तो है
पर किससे करें,हर आंख गीली है
हाथ आंसू मल रहा है,उधर रैलियों का दौर
ख़ूब चल रहा है ।।
कई सांसें टूट जाती हैं,आक्सीजन के इंतज़ार में
पर निष्ठुरों का मन,कहां पिघल रहा है
अरे...आत्ममुग्धों देखो,देश जल रहा है ।

✍🏻@Agroent🐞

©YUVRAJ SINGH NAGESH #कोरोना_का_कहर #YUVRAJ_SINGH_NAGESH 

#COVIDVaccine