झांक कर देखा है आँखों मे अक्सर मेरी हकीकतों का कोई छोर नहीँ है बेलगाम परिंदे है ज़ज़्बात साँसों में इनपर पत्थर की सरहदों का कोई ज़ोर नहीं है उड़कर माथे की लकीरों को पाने की ख्वाहिश है पर इशारा रब का हाथोँ की लकीरों की ओर नहीं है बसमे होता तो मिटा देते माथे की सिलवटें तेरी पर जन्नत के दरवाजे का मुह मेरी और नहीं है चूम लेना भी चाहता है ये पागल दिल कभी पर तेरा बेखौफ इशारा शायद मेरी ओर नहीं है खो देने के ख्याल से तुझे, खो सा जाता हूं मन क्या करूँ, मेरे हाथों में तेरे फैसलो की डोर नहीं है Unconditional love