#अल्फाज़_ए_अमित.... ख़ामोशी तेरे चेहरे पर जचती नहीं कहीं सुकूँ तेरी बाहों सा अब मिलता नही कहीं, वर्षों से तेरे दीदार को तड़प रही हैं आंखे ख़्वाब में ही दस्तक दे दो हकीकत में न सही,,, ©A. P. bauddh #alfaz_e_amit #SAD