जब एक दिन तुम्हें सोच रही थी तब तुम्हारी मुस्कुराहट मेरे होठों पर आकर ठहर गई हम साथ-साथ मुस्कुराए शायद यह होठों का अदृश्य प्रेम मिलन ही था : और तभी मैं तुम्हारे प्रेम में उस चांद की परिक्रमा कर आई जिसकी चांदनी को साक्षी मान हमने एक दूसरे के प्रेम को स्वीकार किया था : तुम्हें याद है वो नदी जिसको तुमने और मैंने हाथों से सहलाया था मुझे देख पुनः चंचल हो उठी : और वो गलियां जिस पर तुम्हारे और मेरे नाम के हस्ताक्षर थे तुम्हें बुला रही थी : ये कैसा एहसास था कि मैं तुम्हें खुद में जिएं जा रही थी और तुम मेरे होठों पर मुस्कुरा रहे थे 💗💗💗💗💗💗💗💗💗 चंचला ✨,, 𝑵𝒆𝒆𝒕𝒖 𝑺𝒊𝒏𝒉𝒂 ji Aapne yaad kiya bahut khushi hui🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗♥️ #चाँद #चादंकीचादंनी #नदी #गलियाँ #मुस्कुराहट #yqquotes #yqlove #yqdiary