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कभी सोचा नहीं था इंसान की अन्दर जो छलके वो स्वाभि

कभी सोचा नहीं था  इंसान की अन्दर जो छलके वो स्वाभिमान है,
और बाहर जो छलके वो अभिमान है !!
mk
कभी सोचा नहीं था  इंसान की अन्दर जो छलके वो स्वाभिमान है,
और बाहर जो छलके वो अभिमान है !!
mk
khemchandra5829

khemchandra

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