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#दोस्ती_शब्द_नहीं_एहसास_है..!! दोस्ती शब्द नहीं एह

#दोस्ती_शब्द_नहीं_एहसास_है..!!
दोस्ती शब्द नहीं एहसास है। इस एहसास के बारे में लिखने बैठा तो लगा की कलम की स्याही कम पड़ जाएगी । 
एक दूसरे के नाम बिगाड़ना है दोस्ती, एग्जाम से 10 मिनट पहले पूरी किताब को शार्ट में समझा दे वो है दोस्ती,
 रात को 12 बजे दोस्त फ़ोन करे और कहे कि नींद नही आ रही फिर कब बात करते हुए सुबह हो जाये वो है दोस्ती ।
 पता नही सच है या झूठ, पर लोग कहते है की अगर दोस्ती 7 साल से ज्यादा हो तो ताउम्र चलता है । 
मेरी समझ से तो दोस्ती आपसी विश्वास और भरोसे पर चलता है अगर ये दोनों हो तो कोई भी दोस्ती अटूट हो सकता है ।
हां ये बात तो है कि दोस्ती जितनी पुरानी होगी आपसी समझ उतनी ही गहरी होती जायेगी और फिर दोस्त चाहे दूर हो या पास, बातें चाहे घंटो हो या न हो, हर रोज़ हो या महीने भर भी न हो कोई फर्क नही पड़ता ।
जब कोई दोस्त कहता है कि यार बस तू ही मुझे समझता है तो लगता है कोई मैडल जीत लिया, जब कोई दोस्त कहता है 
कि तू आवाज़ से कैसे पता लगा लेता है कि मैं बीमार या परेशान हूँ  तो कहने का मन होता है, 
मुझे नही तो क्या तेरे दुश्मनों को पता चलेगा, जब दोस्त कहता है कि इतना तो मेरे पास रहने वालों को नही 
पता चलता जितना तू दूर होकर पता कर लेता है तो लगता है बस यही तो हासिल किया है अब तक । 
सच ही तो है दोस्ती में दूरियां कहाँ मायने रखता हैं ।
किसी दोस्त का ये कहना की मुझे पता है तू ये कर लेगा पहाड़ हिलाने जितनी ताकत देता है । 
आपके किसी काम की सराहना में जब वो मीठा सा ताना घोल देते हैं तो लंबी सी मुस्कान होठों पर खिल उठता है ।
चाहे लड़ना हो या किसी की खिंचाई, स्कूल का फंक्शन हो या कॉलेज का ट्रिप, बॉस की डांट हो या सहकर्मी की शादी, पॉलिटिक्स पर चर्चा हो या फिल्मी गॉसिप, पूरे दिन का लेखा जोखा सुनाना हो या शॉपिंग करना..!
दोस्तों के साथ हर लम्हा ख़ास हो जाता है । क़िस्सा-गोई करते हुए शामें कब रातों में बदल जाता हैं 
और रातें सुबहों में तब्दील हो जाता हैं पता ही नहीं चलता ।
बहुत पुरानी कहावत है की ज़िंदगी में एक मित्र "श्रीकृष्ण" जैसा होना चाहिए जो सही समय पर सही दिशा दे,
 और एक "कर्ण" की तरह जो किसी भी परिस्थिति में साथ ना छोड़े ।
दोस्त यानि सूरज, जो अंधेरे को दूर करता है, दोस्त भी तो यही करते हैं ।
 पीठ पर एक धौल देकर गहरी से गहरी चिंता से बाहर निकाल देते हैं, एक कप चाय के साथ सारे राज़ उगलवा लेते हैं 
और एक फोन से दिल का हाल जान लेते हैं । निजी तौर पर मैं ये मानता हूँ कि दोस्ती किसी खास दिन की मोहताज़ नहीं है ।
थैंक यू "कमीनो" । जैसे मैं हूं वैसे मुझे अपनाने के लिए और बिना सवाल जवाब किये मुझे समझने के लिए । दोस्ती जिंदाबाद☺☺☺☺
तो मनाइए जश्न-ए-दोस्ती जब मन हो..!!
@:-प्रिंस राज ***
हमारे सभी दोस्तों को  हमारे तरफ से #मित्र_दिवस की हार्दिक बधाई..!!
"कुछ कहानी दिल में कुछ कागज पे आबाद रहे"
"दोस्त को कैसे भूले.. ? जो हर सांसों में याद रहे"
💝💝😊😊💝💝😘 #दोस्ती_शब्द_नहीं_एहसास_है .!!
हमारे सभी दोस्तों को  हमारे तरफ से #मित्र_दिवस की हार्दिक बधाई..!!
"कुछ कहानी दिल में कुछ कागज पे आबाद रहे"
"दोस्त को कैसे भूले.. ? जो हर सांसों में याद रहे"
💝💝😊😊💝💝😘

#Yaari
#दोस्ती_शब्द_नहीं_एहसास_है..!!
दोस्ती शब्द नहीं एहसास है। इस एहसास के बारे में लिखने बैठा तो लगा की कलम की स्याही कम पड़ जाएगी । 
एक दूसरे के नाम बिगाड़ना है दोस्ती, एग्जाम से 10 मिनट पहले पूरी किताब को शार्ट में समझा दे वो है दोस्ती,
 रात को 12 बजे दोस्त फ़ोन करे और कहे कि नींद नही आ रही फिर कब बात करते हुए सुबह हो जाये वो है दोस्ती ।
 पता नही सच है या झूठ, पर लोग कहते है की अगर दोस्ती 7 साल से ज्यादा हो तो ताउम्र चलता है । 
मेरी समझ से तो दोस्ती आपसी विश्वास और भरोसे पर चलता है अगर ये दोनों हो तो कोई भी दोस्ती अटूट हो सकता है ।
हां ये बात तो है कि दोस्ती जितनी पुरानी होगी आपसी समझ उतनी ही गहरी होती जायेगी और फिर दोस्त चाहे दूर हो या पास, बातें चाहे घंटो हो या न हो, हर रोज़ हो या महीने भर भी न हो कोई फर्क नही पड़ता ।
जब कोई दोस्त कहता है कि यार बस तू ही मुझे समझता है तो लगता है कोई मैडल जीत लिया, जब कोई दोस्त कहता है 
कि तू आवाज़ से कैसे पता लगा लेता है कि मैं बीमार या परेशान हूँ  तो कहने का मन होता है, 
मुझे नही तो क्या तेरे दुश्मनों को पता चलेगा, जब दोस्त कहता है कि इतना तो मेरे पास रहने वालों को नही 
पता चलता जितना तू दूर होकर पता कर लेता है तो लगता है बस यही तो हासिल किया है अब तक । 
सच ही तो है दोस्ती में दूरियां कहाँ मायने रखता हैं ।
किसी दोस्त का ये कहना की मुझे पता है तू ये कर लेगा पहाड़ हिलाने जितनी ताकत देता है । 
आपके किसी काम की सराहना में जब वो मीठा सा ताना घोल देते हैं तो लंबी सी मुस्कान होठों पर खिल उठता है ।
चाहे लड़ना हो या किसी की खिंचाई, स्कूल का फंक्शन हो या कॉलेज का ट्रिप, बॉस की डांट हो या सहकर्मी की शादी, पॉलिटिक्स पर चर्चा हो या फिल्मी गॉसिप, पूरे दिन का लेखा जोखा सुनाना हो या शॉपिंग करना..!
दोस्तों के साथ हर लम्हा ख़ास हो जाता है । क़िस्सा-गोई करते हुए शामें कब रातों में बदल जाता हैं 
और रातें सुबहों में तब्दील हो जाता हैं पता ही नहीं चलता ।
बहुत पुरानी कहावत है की ज़िंदगी में एक मित्र "श्रीकृष्ण" जैसा होना चाहिए जो सही समय पर सही दिशा दे,
 और एक "कर्ण" की तरह जो किसी भी परिस्थिति में साथ ना छोड़े ।
दोस्त यानि सूरज, जो अंधेरे को दूर करता है, दोस्त भी तो यही करते हैं ।
 पीठ पर एक धौल देकर गहरी से गहरी चिंता से बाहर निकाल देते हैं, एक कप चाय के साथ सारे राज़ उगलवा लेते हैं 
और एक फोन से दिल का हाल जान लेते हैं । निजी तौर पर मैं ये मानता हूँ कि दोस्ती किसी खास दिन की मोहताज़ नहीं है ।
थैंक यू "कमीनो" । जैसे मैं हूं वैसे मुझे अपनाने के लिए और बिना सवाल जवाब किये मुझे समझने के लिए । दोस्ती जिंदाबाद☺☺☺☺
तो मनाइए जश्न-ए-दोस्ती जब मन हो..!!
@:-प्रिंस राज ***
हमारे सभी दोस्तों को  हमारे तरफ से #मित्र_दिवस की हार्दिक बधाई..!!
"कुछ कहानी दिल में कुछ कागज पे आबाद रहे"
"दोस्त को कैसे भूले.. ? जो हर सांसों में याद रहे"
💝💝😊😊💝💝😘 #दोस्ती_शब्द_नहीं_एहसास_है .!!
हमारे सभी दोस्तों को  हमारे तरफ से #मित्र_दिवस की हार्दिक बधाई..!!
"कुछ कहानी दिल में कुछ कागज पे आबाद रहे"
"दोस्त को कैसे भूले.. ? जो हर सांसों में याद रहे"
💝💝😊😊💝💝😘

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