प्रेम अदभुत,आलौकिक अनुभुति से परिपक्व एक एहसास है उद्देश्य और भौतिकता से कोसो दूर होता इसका वास है। मीरा की भक्ति तो राधा का प्रेम तो बस दृष्टान्त है । प्रेम की परिभाषा लिखना भी तो जैसे एक कुटिल व्यापार है ।। प्रेम बिना नभ,थल, जल और है मरू सूना प्रेम बिना प्राणो का भी होना, क्या है जीना ।। प्रेम अजर है, प्रेम अगण है, प्रेम अतुलनीय संवेगो का अथाह सागर है । प्रेम तो बस मूँदे नयनों पीछे बसता संसार है प्रेम अनुमोदन है उन हृदयों का स्मित भाव से जो चाहे इस जीवन को जीने का ।। अपरिभाषित प्रेम को पाना कस्तुरी चन्दन का आधार है प्रेम तो बस अदभुत आलौकिक एहसासों का संगम है #NojotoQuote अपरिभाषित प्रेम की डगर नही आसां है ।।। बस ये पावन गंगा को देख खिलती मुस्कान है।।। ##nojoto #nojotohindi #kaavya #काव्य #prem #silent_ocean