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स्नेह को संवार देने की, आग मुझमे भी है पर, दोस्त

स्नेह को संवार देने की,
आग मुझमे भी है पर,
दोस्ती में दरार, स्नेह को बिसार देती है !

प्रीत को प्यार देने की,
आग मुझमे भी है पर,
दगाओं की मार, प्रीत बिसार देती है !

मंशा को निखार देने की,
आग मुझमे भी है पर,
चाय की महक, मंशा बिसार देती है !

कल्पना को करार देने की,
आग मुझमे भी है पर,
स्याही की रंगत, कल्पना बिसार देती है !

आनंद को आकार देने की,
आग मुझमे भी है पर,
गमों की धार, आनंद बिसार देती है ! #आग #fire #friendship #ananddadhich #poetanand #poetry #hindi
स्नेह को संवार देने की,
आग मुझमे भी है पर,
दोस्ती में दरार, स्नेह को बिसार देती है !

प्रीत को प्यार देने की,
आग मुझमे भी है पर,
दगाओं की मार, प्रीत बिसार देती है !

मंशा को निखार देने की,
आग मुझमे भी है पर,
चाय की महक, मंशा बिसार देती है !

कल्पना को करार देने की,
आग मुझमे भी है पर,
स्याही की रंगत, कल्पना बिसार देती है !

आनंद को आकार देने की,
आग मुझमे भी है पर,
गमों की धार, आनंद बिसार देती है ! #आग #fire #friendship #ananddadhich #poetanand #poetry #hindi