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कोरोनो बड़ी बला नहीं है आपदा के इस भयानक दौर में

कोरोनो बड़ी बला नहीं है

आपदा के इस भयानक दौर में जिनको ईश्वर पे विश्वास है वो धर्म-कर्म में ध्यान लगाएँ,
जो नास्तिक हैं, आस्था से ज्यादा विज्ञान को मानते हैं, केवल वो ही हॉस्पिटल जाएँ,
मंदिर,मस्जिद के नाम पर लड़ने वाले;  मंदिर, मस्जिद में जायें  स्वस्थ होकर आएँ,
विज्ञान के समर्थक हास्पिटलों का लुत्फ़ उठायें, ऑक्सीजन लगाएँ और मर जाएँ,!!

सच कहूँ तो मुझे किसी का मौका पाकर रंग बदलना अच्छा नहीं लगता,!
मुँह में राम-राम और बगल में छुरी छिपाकर चलना अच्छा नहीं लगता,!
मरते लोगों के चित्कारों के बीच;  नाचना, गाना, उछलना अच्छा नहीं लगता,!
जलते हुए दिलों पर पानी डालकर ऊपर से नमक मलना अच्छा नहीं लगता,!

कोरोनो बड़ी बला नहीं है, इससे ज्यादा खतरा तो रंग बदलने वाले गिरगिटों से हैं,!
लाशों पर राज करने की नीयत रखने वाले झूठे और मक्कार नासपीटों से है,!
कुर्सी की खातिर जिन्होंने आस्था को भी नोच खाया, उन  धर्मभक्षी चिटों से है,!
गर्मी पाकर जो नहीं उबलते,  जिंदा शरीर में सड़ते खून के उन बदबूदार छीटों से है,!! #dirtypolitics #poitics #indianpolitics
कोरोनो बड़ी बला नहीं है

आपदा के इस भयानक दौर में जिनको ईश्वर पे विश्वास है वो धर्म-कर्म में ध्यान लगाएँ,
जो नास्तिक हैं, आस्था से ज्यादा विज्ञान को मानते हैं, केवल वो ही हॉस्पिटल जाएँ,
मंदिर,मस्जिद के नाम पर लड़ने वाले;  मंदिर, मस्जिद में जायें  स्वस्थ होकर आएँ,
विज्ञान के समर्थक हास्पिटलों का लुत्फ़ उठायें, ऑक्सीजन लगाएँ और मर जाएँ,!!

सच कहूँ तो मुझे किसी का मौका पाकर रंग बदलना अच्छा नहीं लगता,!
मुँह में राम-राम और बगल में छुरी छिपाकर चलना अच्छा नहीं लगता,!
मरते लोगों के चित्कारों के बीच;  नाचना, गाना, उछलना अच्छा नहीं लगता,!
जलते हुए दिलों पर पानी डालकर ऊपर से नमक मलना अच्छा नहीं लगता,!

कोरोनो बड़ी बला नहीं है, इससे ज्यादा खतरा तो रंग बदलने वाले गिरगिटों से हैं,!
लाशों पर राज करने की नीयत रखने वाले झूठे और मक्कार नासपीटों से है,!
कुर्सी की खातिर जिन्होंने आस्था को भी नोच खाया, उन  धर्मभक्षी चिटों से है,!
गर्मी पाकर जो नहीं उबलते,  जिंदा शरीर में सड़ते खून के उन बदबूदार छीटों से है,!! #dirtypolitics #poitics #indianpolitics