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प्यास दरिया की निगाहों से छुपा रक्खी है एक बादल स

प्यास दरिया की निगाहों से छुपा रक्खी है 
एक बादल से बड़ी आस लगा रक्खी है

तेरी आँखों की कशिश कैसे तुझे समझाऊँ 
इन चराग़ों ने मेरी नींद उड़ा रक्खी है !

क्यूँ न आ जाए महकने का हुनर लफ़्ज़ों को 
तेरी चिट्ठी जो किताबों में छुपा रक्खी है.

तेरी बातों को छुपाना नहीं आता मुझ से 
तू ने ख़ुश्बू मिरे लहजे में बसा रक्खी है..

ख़ुद को तन्हा न समझ लेना नए दीवानों 
ख़ाक सहराओं की हम ने भी उड़ा रक्खी है...

©SUNIL SAXENA SIWAN Nojoto #sunilsaxenaharsac 
#nojotofest 

#Relationship
प्यास दरिया की निगाहों से छुपा रक्खी है 
एक बादल से बड़ी आस लगा रक्खी है

तेरी आँखों की कशिश कैसे तुझे समझाऊँ 
इन चराग़ों ने मेरी नींद उड़ा रक्खी है !

क्यूँ न आ जाए महकने का हुनर लफ़्ज़ों को 
तेरी चिट्ठी जो किताबों में छुपा रक्खी है.

तेरी बातों को छुपाना नहीं आता मुझ से 
तू ने ख़ुश्बू मिरे लहजे में बसा रक्खी है..

ख़ुद को तन्हा न समझ लेना नए दीवानों 
ख़ाक सहराओं की हम ने भी उड़ा रक्खी है...

©SUNIL SAXENA SIWAN Nojoto #sunilsaxenaharsac 
#nojotofest 

#Relationship