होगा कौन मेरे जैसा पत्थरदिल हम ख़ुद की आह पर वाह सुना करते हैं शेषमणि अब इन आँखों मे नींद है कहाँ अब तो खुली आँखों से ख़्वाब बुना करते हैं Shikha Verma