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अरसो बाद आज फिर पेन उठाया हमने उड़ने के लिए पंखो क

अरसो बाद आज फिर पेन उठाया हमने
उड़ने के लिए पंखो को फहराया हमने

उनका आसमाँ कुछ छोटा सा था
इरादो की तरह अपने,
ऊँचा सा आसमाँ बनाया हमने।


ढलते जा रहे थे रंग जिंदगी के
आज फिर इसको
 रंगो से सजाया हमने।

©Shalu Satsangi
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