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Alone मायूस सा शहर अकेले हैं हम ग़मज़दा हवा हैं

Alone  मायूस सा शहर 
अकेले हैं हम
ग़मज़दा हवा 
हैं सहमें से हम।

यूं चांद ना छिपा था 
अमावस में भी कभी
हैं जिस तरह से अपने 
घरों में कैद हम।

जीने को देखो 
कितना आगे आ गए हैं
के सांस लेने से भी 
आज डर रहे हैं हम।

सूनी हैं मस्ज़िदें 
मंदिर वीरान हैं
ना पादरी ना पंडित 
ना साधु इमाम हैं
पूछो अब इंसान से 
कहां खोए भगवान हैं
क्यूं उसके ना वजूद को 
टटोलते हैं हम? 

अब ले लो सीख थोड़ी 
एक पेड़ है ये धरती
ना काटो टहनियों को 
है बार बार कहती
उमर में ये बड़ी है 
अभी बच्चे हैं हम
पतझड़ आ गया है 
शायद पत्ते हैं हम। मायूस सा शहर है अकेले है हम
#Poetry
#seethis
#abeer
Alone  मायूस सा शहर 
अकेले हैं हम
ग़मज़दा हवा 
हैं सहमें से हम।

यूं चांद ना छिपा था 
अमावस में भी कभी
हैं जिस तरह से अपने 
घरों में कैद हम।

जीने को देखो 
कितना आगे आ गए हैं
के सांस लेने से भी 
आज डर रहे हैं हम।

सूनी हैं मस्ज़िदें 
मंदिर वीरान हैं
ना पादरी ना पंडित 
ना साधु इमाम हैं
पूछो अब इंसान से 
कहां खोए भगवान हैं
क्यूं उसके ना वजूद को 
टटोलते हैं हम? 

अब ले लो सीख थोड़ी 
एक पेड़ है ये धरती
ना काटो टहनियों को 
है बार बार कहती
उमर में ये बड़ी है 
अभी बच्चे हैं हम
पतझड़ आ गया है 
शायद पत्ते हैं हम। मायूस सा शहर है अकेले है हम
#Poetry
#seethis
#abeer