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एक मुक्तक मैं ... कश्ती,तुम हो पतवार l तुम हो नदी,

एक मुक्तक
मैं ... कश्ती,तुम हो पतवार l
तुम हो नदी, मैं उसकी धार l
पतझड़ जैसा जीवन मेरा .....
प्रियतम तुम हो,बसंत बहार l
कवि हरिश्चन्द्र राय "हरि"
मुम्बई (महाराष्ट्र)

©कवि और अभिनेता हरिश्चन्द्र राय "हरि"
  परम् सनेही आत्मीय मित्रों!
शुभ प्रभात .. मंगलमय हो दिवस आपका l

परम् सनेही आत्मीय मित्रों! शुभ प्रभात .. मंगलमय हो दिवस आपका l #शायरी

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