तुम्हारे आँसू तुम्हारी हँसी समझता हूँ तुम्हारी हर एक बेबसी को समझता हूँ दिनभर मशगूल रहते हो दुनियादारी में रातों में जो होती है मायूसी समझता हूँ जोड़ना-घटाना, गुणा-भाग तुम्हारे खेल है जुड़ने-घटने से है जो बेकसी समझता हूँ माना कि मै ज़रा सा मसरूफ़ हूँ इन दिनों तुम्हारे ज़हन क्या बात है फंसी समझता हूँ तुम्हारे आँसू तुम्हारी हँसी समझता हूँ तुम्हारी हर एक को बेबसी समझता हूँ दिनभर मशगूल रहते हो दुनियादारी में रातों में जो होती है मायूसी समझता हूँ जोड़ना-घटाना, गुणा-भाग तुम्हारे खेल है जुड़ने-घटने से है जो बेकसी समझता हूँ