अफ़सोस नहीं अब मुझको,किसी से बिछड़ जाने का, दुख नहीं अब करता मैं,किसी को याद न आने का। जब छोड़ दिया है तन्हा मुझको मेरे अपनों ने ही, तब क्या फायदा है किसी से अफ़सोस जताने का। माफ़ी अब मांगता नहीं मैं किसी इंसान से, डरता हूं तो बस डरता उस ख़ुदा भगवान से। बस इसी खातिर अब मैं गुनाह करता नहीं, मगर तड़प उठता हूं मैं झूठों के इल्जाम से। ख़ैर फरक पड़ता नहीं अब किसी जंजाल का, मुझे नहीं इंतजार अब किसी इकरार का। कर चुका हूं अब मैं खुद से खुद का राब्ता, रहा नहीं अब याद मुझको किसी तकरार का। अफ़सोस नहीं अब मुझको बिछड़े किसी यार का। #alone #अफ़सोसनहीं