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मैं भी उड़ना चाहती हूं उन बादलों की तरह खुले आसम

मैं भी उड़ना चाहती हूं 
उन बादलों की तरह 
खुले आसमान में 
बहना चाहती हूं 
उस चंचल पवन के साथ 
फूलों की बगिया में 
चहकना चाहती हूं  
उन गुनगुनाते पक्षियों की तरह
 किसी के आंगन में 
खेलना चाहती हूं 
कल कल करती लहरों के साथ 
गहरे समुद्र में 
पर बंध जाती हूं हर बार 
संस्कारों के नाम पर 
घर की मर्यादा में 
दबा लेती हो खुशियों को 
पनपने से पहले ही 
अपने मन की चारदीवारी में 
क्योंकि लड़की हूं मैं 
लड़का नहीं हूं 
जो घूम सकूं आजादी में

©Anita Mishra #asha
मैं भी उड़ना चाहती हूं 
उन बादलों की तरह 
खुले आसमान में 
बहना चाहती हूं 
उस चंचल पवन के साथ 
फूलों की बगिया में 
चहकना चाहती हूं  
उन गुनगुनाते पक्षियों की तरह
 किसी के आंगन में 
खेलना चाहती हूं 
कल कल करती लहरों के साथ 
गहरे समुद्र में 
पर बंध जाती हूं हर बार 
संस्कारों के नाम पर 
घर की मर्यादा में 
दबा लेती हो खुशियों को 
पनपने से पहले ही 
अपने मन की चारदीवारी में 
क्योंकि लड़की हूं मैं 
लड़का नहीं हूं 
जो घूम सकूं आजादी में

©Anita Mishra #asha
anita2403784021992

Anita Mishra

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