#समाज_और_संस्कृति
विचलित #मन की परतों में दबी #जीवन की छोटी बड़ी
खुशियों की लहरें, जो कभी पूरे चर्म पर हिलोरें मारती थी,,
जो कभी पूरे जोर शोर #उत्कृष्ट के साथ उठा पटक करती थी,,
जाने क्यों जीवन की #आपाधापी में,
दुनिया की,,समाज की ,, कपटी, #पापी , निर्दयी,
जलवायु में आज,, दूषित हो चुकी हैं,,
उनके #इंसानियत रूपी #वातावरण की नष्टता, ओर उसमे #प्रदूषण से अपने अस्तित्व की समाप्ति के चरम पर है,,,..... #rakeshfrnds4ever