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स्त्री का मन आज तक कोई जान ही न सका कहा जाता है व

 स्त्री का मन
आज तक कोई जान ही न सका
कहा जाता है वो खुद ही नहीं
जानती अपने मन को
असंख्य इच्छाएं उसमें वास करती हैं
सबको वो दृढ़ता से पूरा करना
उसकी आदत में होता है
अपना घर ही नहीं पति, बच्चे सबको
साथ लेके जीती है वो,
गैरों की भी परवाह करती है
समाज, देश, परिवेश सब की
चिंता होती है ।।

©Sunita
  #स्त्री_मन