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बेशक उसकी रजा क्या है,

बेशक उसकी रजा क्या है,
                               ये कौन जानता है?
ना हक तेरे दिल की जो ख्वाहिशेँ है,
                               तू वही मांगता है;
बस बे पनाह कोशिशेँ कर,
                               तू हर उस मुकद्दस आरजू की,
क्यों की देनेवाले वही अहद को
                               तू मुकर्रर खुदा मानता है। 
 Efforts, dedications and for its prayer
बेशक उसकी रजा क्या है,
                               ये कौन जानता है?
ना हक तेरे दिल की जो ख्वाहिशेँ है,
                               तू वही मांगता है;
बस बे पनाह कोशिशेँ कर,
                               तू हर उस मुकद्दस आरजू की,
क्यों की देनेवाले वही अहद को
                               तू मुकर्रर खुदा मानता है। 
 Efforts, dedications and for its prayer