आज एक बहुत बड़े असमंजस में था में होस्टल के सारे कमरे छान रहा था क्योंकि सारे कमरों में मेरा थोड़ा थोड़ा समान था होस्टल बिल्कुल घर की तरह हो गया था कोई पूछता कौन से कमरे में रहेते हो तो बड़ी शान से कहेता सारे कमरे मेरे है जिसमे मन होता है सो जाता हूं होस्टल बंद जरूर था लेकिन उसमें आजाद पंक्षी की तरह घूमता था देर रात तक दोस्तो से बाते करना बातों बातों में खुद को प्रधनमंत्री और राष्ट्रपति बना देता था शायद अब ये छूट जायेगा क्योकि सारे दोस्तो से दूर घर जो जा रहा था समझ नही पा रहा था खुस हु या दुखि। खुसी और गम दोनों साथ थे।ऐसी हालत हो गयी थी जैसे चाय में सब कुछ पड़ा है फिर भी कोई स्वाद नही उसी तरह में जिंदगी को लिये में घर तो जा रहा था लेकिन मेरी जिंदगी का स्वाद होस्टल में ही छूट रहा था कर भी क्या सकता था ये तो एक दिन होना ही था इसी बात को सोच कर खुद को दिलासा दिये जा रहा था आँखे नम थी अपने बैग अपना सामान रख रहा था सोच रहा था वो चाय की टपरी कुछ दोस्त और होस्टल के कमरे कास इस बैग में आ जाते लेकिन ऐसा नही हो सकता था बैग में सिर्फ मेरे कपड़े और दो चार आंसू ही आ पाए थे और फुल हो गया उसी बैग के साथ मे जिंदगी के आगे के सफर के लिये निकल पड़ा। Pmshyari #NojotoQuote