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मानता हू की दुर जाती है ओ मंजिल जिसको पाने के लिए

मानता हू की दुर जाती है ओ मंजिल जिसको पाने के लिए हम बडते हैं पर हमे अपने होंषले को बड़ाना है और मंजिल के अंगे ना सही मंजिल के पीछे, पीछे ही जाना है तब मंजिल भी आप का इंतजार करे गी  
🙏🙏🙏🙏
आप कभी अपना होंषला मत कमजोर होने देना फिर ओ कोई भी मंजिल हो आप को जरूर मिले गी 
R k mishra Mera bichar
मानता हू की दुर जाती है ओ मंजिल जिसको पाने के लिए हम बडते हैं पर हमे अपने होंषले को बड़ाना है और मंजिल के अंगे ना सही मंजिल के पीछे, पीछे ही जाना है तब मंजिल भी आप का इंतजार करे गी  
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आप कभी अपना होंषला मत कमजोर होने देना फिर ओ कोई भी मंजिल हो आप को जरूर मिले गी 
R k mishra Mera bichar