शीर्षक - लड़की *********** लड़की जीवन की राह होती हैं। बहू बेटा या बेटा बहू घर होता हैं। सोच बस अपने पराए की लड़की हैं। लड़की हां लड़की हम सब जानते हैं। सच और फरेब हम लड़की से करते हैं। बस हम लड़की को कहां समझते हैं। लड़की बेटी बहू मां बहन रिश्ते होते हैं। हम बस बेटे लड़के को मान समझते हैं। सोचे बिन लड़की कहां हम जन्म देते हैं। लड़की को सम्मान कहां मन से देते हैं। बस आज भी पुरुष समाज हम समझते हैं। आओ लड़की को हम मन भाव देते हैं। जीवन में लक्ष्मी दुर्गा शक्ति हम कहते हैं। लड़की को मन वचन अपनी कहते हैं। *********************** नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र ©Neeraj kumar Agarwal #LADKI #neeraj_poetry