इस नगरी में रात हुई ------------------ मन में पैठा चोर अँधेरी तारों की बारात हुई बिना घुटन के बोल न निकले यह भी कोई बात हुई धीरे-धीरे तल्ख़ अँधेरा फैल गया, ख़ामोशी है आओ ख़ुसरो लौट चलें घर इस नगरी में रात हुई Kavita Aasman Ki Nagri