मौन स्वरूप है उनका माथे पे गंगा विराजे है, काल के भी है वो काल केशों में चंद्र साजे है, गले में बैठा है सर्प हाथों में डमरू बाजे है, कोई क्या बिगाड़ेगा उनका जिन पर बाबा अपना हाथ राखे है... #shivratri