।। ॐ ।। अभ्रातरो न योषणो व्यन्तः पतिरिपो न जनयो दुरेवाः। पापासः सन्तो अनृता असत्या इदं पदमजनता गभीरम् ॥ पद पाठ अ॒भ्रा॒त॑रः। न। योष॑णः। व्यन्तः॑। प॒ति॒ऽरिपः॑। न। जन॑यः। दुः॒ऽएवाः॑। पा॒पासः॑। सन्तः॑। अ॒नृ॒ताः। अ॒स॒त्याः। इ॒दम्। प॒दम्। अ॒ज॒न॒त॒। ग॒भी॒रम्॥ जो (अनृताः) मिथ्या बोलने और (असत्याः) मिथ्या आचरण करनेवाले (दुरेवाः) दुष्ट व्यसनों से युक्त (पापासः) अधर्माचरण करते (सन्तः) हुए दुष्ट (अभ्रातरः) जैसे बन्धुभिन्न जन (नः) वैसे और जैसे (योषणः) स्त्रियाँ (पतिरिपः) पति की भूमि को (न) वैसे (व्यन्तः) प्राप्त हुईं (जनयः) स्त्रियाँ (इदम्) इस (गभीरम्) गम्भीर (पदम्) स्थान [दुःख] को (अजनत) उत्पन्न करती हैं, वे सदा ही ताड़न करने योग्य हैं ॥ Those who (frivolous) misinformed and (untouchable) misdemeanors (dureva:) wicked addicts (papasah) are in vain The land of (n) is like (vyantah) received (janya), women (idam) produce this (gabhiram) gambhir (padam) place [sorrow] (unborn), they are always worthy of thrashing. ( ऋग्वेद ४.५.५ ) #rigveda #Vedas #women