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तुमसे नाराज़ हूँ मैं, मुझे नाराज़ रहने दो कैद मत

तुमसे नाराज़ हूँ मैं,

मुझे नाराज़ रहने दो


कैद मत करो अपनी नज़रो में

अब मुझे आज़ाद रहने दो


परिंदा हुं मैं मुझमें मेरी उड़ान रहने दो,


बहुत है तेरी विरह की अग्नि में तपिश, 

मुझे यह तपिश सहने दो

©Shashank Singh Kushwaha
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