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ये आंधियां भी जाने किस ओर चल रही है, क्यों बेवजह उ

ये आंधियां भी जाने किस ओर चल रही है,
क्यों बेवजह उसकी आंखें छलक रही है
क्यों हसी चेहरे से उसके रुकसत हो रही है,
लगता है मेरी हर दुआ बेअसर हो रही है

मासूम सा यार क्यों फंसा है मंझधार में,
क्यों उलझ गया है वो हर एक सवाल में,
किसी और की सजा क्यूं उसे बेवजह मिल रही है
लगता है मेरी हर दुआ.....

मंजिल भी दूर अभी रास्ता भी अंजान है,
नफ़रत की इस आंधी में वो हो गया बेजान है,
क्यूं दर्द ही दर्द उसे हर जगह मिल रही है
लगता है मेरी हर दुआ...

अपने भी मिल रहे यहां ले चेहरे पर नकाब  है,
पहचान ले कैसे कौन अच्छा कौन खराब है,
अब तो पीठ पीछे खंजर सामने वंदन हो रही है
लगता है मेरी हर दुआ....

पल भर के साथ में कैसे उसको इतना जान लिया,
वही एक सच्चा साथी है ये मैंने तो पहचान लिया,
फिर क्यूं खुदा को उसकी व्यथा नहीं नज़र आ रही है
लगता है मेरी हर दुआ....

दुआएं की हूं हरपल उसकी खुशियों के लिए,
वो जिंदगी का हर लम्हा मुस्कुरा कर जीए,
फिर क्यूं तम उसकी राह से नहीं हट रही है
लगता है मेरी हर दुआ बेअसर हो रही है.....

भर दे तू खुशी जिंदगी में उसके इस कदर,
हंसता रहे वो चेहरा यूं ही उम्रभर,
यकीन होगा तभी दिल को हरपल कि
शायद मेरी दुआ अब असर कर रही है....
शायद उसकी जिंदगी फिर से निखर रही है.....❣️

©Chetna Dubey
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