मेरे डायरी का एक अंश सिर्फ तुम्हारे नाम होगा। बिन मिले हम कितने पास है, बिन छुएं भी तुम्हारे मेरी चारों ओर घेरे रहने का एहसास है, जैसे कमल के पत्ते में गिरे एक बूंद पानी है। तुम्हारे पास ना होते हुए भी, मेरे हर एक आदा में, सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे ईश्क का स्पर्श है। हम आमने सामने शायद कभी ना होंगे, शायद तुम्हारे बाहों में सर टिका कर, कोई सूर्यदय हम देख ना पाएंगे, शायद तुम और मैं दुनिया के नज़रों में कभी ' हम ' न बन पायेंगे, शायद तुम्हारे दिल को हम कभी छूं ना पाएंगे, शायद मेरी सांसे तुम्हारे गोदी में सर रख आखरी ना हो पाएंगे, फिर भी, मेरी डायरी में कई पन्ने सिर्फ तुम्हारे ही नाम होंगे। हकीकत में ना सही, मेरे शब्दों में ही तुम्हे हम बांधे रखेंगे, डायरी को सिरहाने रख, हम तेरे दीदार का इंतज़ार करेंगे। #80/366