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मैं सही राह पे चलने का हुनर रखता हूँ वो ठिकाना है

मैं सही राह पे चलने का हुनर रखता हूँ
वो ठिकाना है मेरा पाँव जिधर रखता हूँ

मुझको अर्जुन की तरह है ये महारत हासिल
मैं निशाने पे बड़ी तेज़ नज़र रखता हूँ

प्यार से माँगे तो मैं सर भी उसे दे दूँगा
जो करे वार तो फ़ौलादी जिगर रखता हूँ

मैं दुआ करता हूँ ये मुल्क में खुशहाली हो
और गद्दार की नीयत पे नज़र रखता हूँ

आजु-बाजू मेरे जो कुछ भी घटित होता है
चाहे अच्छा या बुरा सबकी ख़बर रखता हूँ

जब कभी नींद न आए मुझे बचपन जैसी
माँ के आँचल में बड़े प्यार से सर रखता हूँ

नेक कर्मों में लगें लोग मेरे कहने से
अपनी बातों में अजी इतनी असर रखता हूँ

            ©पल्लवी मिश्रा, दिल्ली। #RDV19 #ग़ज़ल #ghazal
#पल्लवी #शायरी
मैं सही राह पे चलने का हुनर रखता हूँ
वो ठिकाना है मेरा पाँव जिधर रखता हूँ

मुझको अर्जुन की तरह है ये महारत हासिल
मैं निशाने पे बड़ी तेज़ नज़र रखता हूँ

प्यार से माँगे तो मैं सर भी उसे दे दूँगा
जो करे वार तो फ़ौलादी जिगर रखता हूँ

मैं दुआ करता हूँ ये मुल्क में खुशहाली हो
और गद्दार की नीयत पे नज़र रखता हूँ

आजु-बाजू मेरे जो कुछ भी घटित होता है
चाहे अच्छा या बुरा सबकी ख़बर रखता हूँ

जब कभी नींद न आए मुझे बचपन जैसी
माँ के आँचल में बड़े प्यार से सर रखता हूँ

नेक कर्मों में लगें लोग मेरे कहने से
अपनी बातों में अजी इतनी असर रखता हूँ

            ©पल्लवी मिश्रा, दिल्ली। #RDV19 #ग़ज़ल #ghazal
#पल्लवी #शायरी