आज पूर्णमासी की रात, सज गई आने को मेरी बरात। ये चांद तारे बरसा दे फूल, ज़िन्दगी अब न मिलेगी खैरात।। ये पवन तू डोला दे चंवल, सांस मेरी हो गई उच्छ्वसित । कर्म मेरे साथ जाने को खड़े, अधुरी तमन्ना नैन में आसीत। ये नियति तेरी खेल अजीब, स्वेत बिमल तुने चादर बिछाई। टकराई जीवन में धूप -छाँव से, चौरासी यौवन मेरे बरात आई। आज पूर्णमासी की रात, सज गई आने को मेरी बरात। ये चांद तारे बरसा दे फूल, ज़िन्दगी अब न मिलेगी खैरात।। ये पवन तू डोला दे चंवल, सांस मेरी हो गई उच्छ्वसित । कर्म मेरे साथ जाने को खड़े,