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आज पूर्णमासी की रात, सज गई आने को मेरी बरात। ये

आज पूर्णमासी  की रात, 
सज गई आने को मेरी बरात। 
ये चांद तारे बरसा दे फूल, 
ज़िन्दगी अब न मिलेगी खैरात।। 

ये पवन तू डोला दे चंवल, 
सांस मेरी हो गई उच्छ्वसित ।
कर्म मेरे साथ जाने को खड़े,
अधुरी तमन्ना नैन में आसीत। 

 ये नियति तेरी  खेल अजीब, 
स्वेत बिमल तुने चादर बिछाई।
टकराई जीवन में धूप -छाँव से, 
चौरासी यौवन मेरे बरात आई। आज पूर्णमासी  की रात, 
सज गई आने को मेरी बरात। 
ये चांद तारे बरसा दे फूल, 
ज़िन्दगी अब न मिलेगी खैरात।। 

ये पवन तू डोला दे चंवल, 
सांस मेरी हो गई उच्छ्वसित ।
कर्म मेरे साथ जाने को खड़े,
आज पूर्णमासी  की रात, 
सज गई आने को मेरी बरात। 
ये चांद तारे बरसा दे फूल, 
ज़िन्दगी अब न मिलेगी खैरात।। 

ये पवन तू डोला दे चंवल, 
सांस मेरी हो गई उच्छ्वसित ।
कर्म मेरे साथ जाने को खड़े,
अधुरी तमन्ना नैन में आसीत। 

 ये नियति तेरी  खेल अजीब, 
स्वेत बिमल तुने चादर बिछाई।
टकराई जीवन में धूप -छाँव से, 
चौरासी यौवन मेरे बरात आई। आज पूर्णमासी  की रात, 
सज गई आने को मेरी बरात। 
ये चांद तारे बरसा दे फूल, 
ज़िन्दगी अब न मिलेगी खैरात।। 

ये पवन तू डोला दे चंवल, 
सांस मेरी हो गई उच्छ्वसित ।
कर्म मेरे साथ जाने को खड़े,
nankipatre1753

Nanki Patre

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